वर्तमान समय में कलियुगी भयावहता को नष्ट करके सतयुग की नींव डालने हेतु परम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने भगवती मानव कल्याण संगठन का गठन किया है।
यह संगठन पूर्ण आध्यात्मिक विचारधारा पर आधारित है तथा जन-जन के कल्याण की भावना एवं समाज में छाये असुरत्व, सामाजिक बुराइयों, छुआछूत व जातिपांति, साम्प्रदायिकता आदि के भेदभाव को मिटाकर मानव कल्याण के लिए हर क्षण तत्पर है। यह संगठन ही आने वाले समय में मूल भारतीय संस्कृति की रक्षा करता हुआ, विश्व में एक नई आध्यात्मिक क्रांति लायेगा तथा समाज कल्याण की विकास रूपी अनेकानेक संभावनाओं को लेकर यह संगठन कार्य कर रहा है।
सिद्धाश्रम सिरमौर युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद व निर्देशन पर चलता हुआ यह संगठन पुनः भारतीय गूढ़ विद्याओं क्रमशः तंत्र-मंत्र, योग, हठयोग, क्रियायोग, यज्ञ, कर्मकांड, ज्योतिष, रसायनशास्त्र व आयुर्वेद जैसी महत्त्वपूर्ण धरोहरों को पुनः स्थापित करेगा तथा जन-जन को आत्मावान्, चेतनावान् व सामथ्र्यवान् बनाकर एक बार पुनः भारत का गौरव विश्व में बढ़ायेगा। यह संगठन वर्तमान में उसी दिशा में सतत कार्यरत है।
संगठन के उद्देश्य
1. जन-ंजन में माता भगवती दुर्गा जी की चेतना जाग्रत् करके मनुष्यता का निर्माण करना।
2. राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारे को मजबूती प्रदान करना।
3. साक्षरता को ब-सजय़ावा देना।
4. गरीबों, अपाहिजों एवं विपत्ति में फंसे लोगों को सहायता पहुंचाना।
5. लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति एवं साधनाओं की पुनस्र्थापना करना।
6. समस्त मानव, जीव-ंउचयजन्तु, प्रकृति के रक्षार्थ समाज में परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा संकल्पित 108 महाशक्तियज्ञों को सकुशल संपन्न कराना।
7. समाज में स्थापित कुरीतियों एवं बुराइयों को दूर करना।
8. छुआछूत को दूर करना।
9. समाज में ब-सजय़ रहे जातीय एवं साम्प्रदायिक संघर्षों को दूर करना।
10. शिक्षा को ब-सजय़ावा देने हेतु कोचिंग सेण्टर एवं विद्यालयों का निर्माण कराकर संचालित करना, जिसके लिये संगठन की उपसमिति का भी गठन किया जा सकता है एवं गरीब या मुहताज बच्चों हेतु शिक्षा की व्यवस्था कराना या आर्थिक मदद देना व बच्चों को शिक्षा क्षेत्र में पुरस्कृत करना।
11. मनुष्य को पूर्ण स्वस्थ एवं नशामुक्त, मांसाहारमुक्त व चेतनावान् बनाने हेतु योग, ध्यान, साधना शिविरों का आयोजन कराना। ऐसे शिविरों के आयोजन हेतु केन्द्रों का निर्माण कराना या अन्य संस्थाओं के साथ जुड़कर कार्य करना या ऐसी संस्थाओं को आर्थिक मदद देना, जो उपर्युक्त कार्यों में सक्रिय हों।
12. जनकल्याणकारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक आदि जानकारियों से जुड़े साहित्य एवं राष्ट्रीय चेतना, नशा, मांसाहार, भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्ति हेतु प्रचार सामग्री का प्रकाशन करके जन-ंउचयजन तक पहुँचाना।
13. नशामुक्त एवं मांसाहारमुक्त समाज के निर्माण हेतु देश स्तर पर अभियान चलाना। आवश्यकतानुसार जगह-ंउचयजगह पर जनजागरण कार्यक्रमों एवं जनजागरण सद्भावना यात्रा आदि का आयोजन करना। जनजागरण कार्यक्रमों के अन्तर्गत आत्मचेतना के विकास हेतु आत्मा की मूल जननी माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा जी की साधना-ंउचयआराधना हेतु शक्तिचेतना जनजागरण शिविरों, जिलास्तरीय महाआरती क्रमों, विभिन्न स्थानों पर अखण्ड श्री दुर्गा चालीसा पाठ एवं आरती के कार्यक्रमों का आयोजन कराना।
14.पर्यावरण के रक्षार्थ वृक्षारोपण आदि करना एवं समाज को इस दिशा में कार्य करने हेतु प्रेरित करना। साथ ही जल संरक्षण, भूमि संरक्षण तथा वायु एवं ध्वनि प्रदूषण के क्षेत्र में भी सतत कार्य करना।
15.समाज में जनचेतना फैलाकर देवी-ंउचयदेवताओं के नाम पर दी जा रही पशुबलि, मांसाहार एवं नशों को पूर्णतया रोके जाने हेतु समस्त कार्य करना एवं जिन स्थानों पर ऐसे अपराध हो रहे हों, वहां अपनी सामथ्र्य के अनुसार कानून के दायरे में रहकर पूर्ण रूप से विरोध करना। अंधविश्वास एवं धार्मिक आडम्बरों को दूर करके ऐसे अपराधों को रोकने का सतत प्रयास करना एवं अधर्मियों द्वारा पहुँचायी जा रही धर्म के क्षेत्र में क्षति के विषय में समाज को आगाह करना व धार्मिकता को सही अर्थों में ब-सजय़ावा देना।
16.गौसंरक्षण एवं गौसंवर्धन हेतु कार्य करना एवं उचित आर्थिक सहयोग प्रदान करना।
वर्तमानसमयमेंकलियुगीभयावहताकोनष्टकरकेसतयुगकीनींवडालनेहेतुपरमपूज्यसद्गुरुदेवपरमहंसयोगीराजश्रीशक्तिपुत्रजीमहाराजनेभगवतीमानवकल्याणसंगठनकागठनकियाहै。
यहसंगठनपूर्णआध्यात्मिकविचारधारापरआधारितहैतथाजन-जनकेकल्याणकीभावनाएवंसमाजमेंछायेअसुरत्व,सामाजिकबुराइयों,छुआछूतवजातिपांति,साम्प्रदायिकताआदिकेभेदभावकोमिटाकरमानवकल्याणकेलिएहरक्षणतत्परहै。 यहसंगठनहीआनेवालेसमयमेंमूलभारतीयसंस्कृतिकीरक्षाकरताहुआ,विश्वमेंएकनईआध्यात्मिकक्रांतिलायेगातथासमाजकल्याणकीविकासरूपीअनेकानेकसंभावनाओंकोलेकरयहसंगठनकार्यकररहाहै。
सिद्धाश्रमसिरमौरयुगचेतनापुरुषपरमहंसयोगीराजश्रीशक्तिपुत्रजीमहाराजकेआशीर्वादवनिर्देशनपरचलताहुआयहसंगठनपुनःभारतीयगूढ़विद्याओंक्रमशःतंत्र-मंत्र,योग,हठयोग,क्रियायोग,यज्ञ,कर्मकांड,ज्योतिष,रसायनशास्त्रवआयुर्वेदजैसीमहत्त्वपूर्णधरोहरोंकोपुनःस्थापित करेगातथाजन-जनकोआत्मावान्,चेतनावान्वसामथ्र्यवान्बनाकरएकबारपुनःभारतकागौरवविश्वमेंबढ़ाय गा。 यहसंगठनवर्तमानमेंउसीदिशामेंसततकार्यरतहै。
संगठनकेउद्देश्य
1.जन-ंजनमेंमाताभगवतीदुर्गाजीकीचेतनाजाग्रत्करकेमनुष्यताकानिर्माणकरना。
2.राष्ट्रीयएकताएवंभाईचारेकोमजबूतीप्रदानकरना。
3.साक्षरताकोब-सजय़ावादेना。
4.गरीबों,अपाहिजोंएवंविपत्तिमेंफंसेलोगोंकोसहायतापहुंचाना。
5.लुप्तहोरहीभारतीयसंस्कृतिएवंसाधनाओंकीपुनस्र्थापनाकरना。
6.समस्तमानव,जीव-ंउचयजन्तु,प्रकृतिकेरक्षार्थसमाजमेंपरमहंसयोगीराजश्रीशक्तिपुत्रजीमहाराजद्वारासंकल्पित108महाशक्तियज्ञोंकोसकुशलसंपन्नकराना。
7.समाजमेंस्थापितकुरीतियोंएवंबुराइयोंकोदूरकरना。
8.छुआछूतकोदूरकरना。
9.समाजमेंब-सजय़रहेजातीयएवंसाम्प्रदायिकसंघर्षोंकोदूरकरना。
10.शिक्षाकोब-सजय़ावादेनेहेतुकोचिंगसेण्टरएवंविद्यालयोंकानिर्माणकराकरसंचालितकरना,जिसकेलियेसंगठनकीउपसमितिकाभीगठनकियाजासकताहैएवंगरीबयामुहताजबच्चोंहेतुशिक्षाकीव्यवस्थाकरानायाआर्थिकमदददेनावबच्चोंकोशिक्षाक्षेत्र मेंपुरस्कृतकरना。
11.मनुष्यकोपूर्णस्वस्थएवंनशामुक्त,मांसाहारमुक्तवचेतनावान्बनानेहेतुयोग,ध्यान,साधनाशिविरोंकाआयोजनकराना。 ऐसेशिविरोंकेआयोजनहेतुकेन्द्रोंकानिर्माणकरानायाअन्यसंस्थाओंकेसाथजुड़करकार्यकरनायाऐसीसंस्थाओंकोआर्थिकमदददेना,जोउपर्युक्तकार्योंमेंसक्रियहों。
12.जनकल्याणकारीसांस्कृतिक,आध्यात्मिक,ऐतिहासिकआदिजानकारियोंसेजुड़ेसाहित्यएवंराष्ट्रीयचेतना,नशा,मांसाहार,भ्रष्टाचारएवंअपराधमुक्तिहेतुप्रचारसामग्रीकाप्रकाशनकरकेजन-ंउचयजनतकपहुँचाना。
13.नशामुक्तएवंमांसाहारमुक्तसमाजकेनिर्माणहेतुदेशस्तरपरअभियानचलाना。 आवश्यकतानुसारजगह-ंउचयजगहपरजनजागरणकार्यक्रमोंएवंजनजागरणसद्भावनायात्राआदिकाआयोजनकरना。 जनजागरणकार्यक्रमोंकेअन्तर्गतआत्मचेतनाकेविकासहेतुआत्माकीमूलजननीमाताभगवतीआदिशक्तिजगत्जननीजगदम्बाजीकीसाधना-ंउचयआराधनाहेतुशक्तिचेतनाजनजागरणशिविरों,जिलास्तरीयमहाआरतीक्रमों,विभिन्नस्थानोंपरअखण्डश्रीदुर्गाचालीसापाठएवंआरतीकेकार्यक्रमोंकाआयोजनकराना。
14.पर्यावरणकेरक्षार्थवृक्षारोपणआदिकरनाएवंसमाजकोइसदिशामेंकार्यकरनेहेतुप्रेरितकरना。 साथहीजलसंरक्षण,भूमिसंरक्षणतथावायुएवंध्वनिप्रदूषणकेक्षेत्रमेंभीसततकार्यकरना。
15.समाजमेंजनचेतनाफैलाकरदेवी-ंउचयदेवताओंकेनामपरदीजारहीपशुबलि,मांसाहारएवंनशोंकोपूर्णतयारोकेजानेहेतुसमस्तकार्यकरनाएवंजिनस्थानोंपरऐसेअपराधहोरहेहों,वहांअपनीसामथ्र्यकेअनुसारकानूनकेदायरेमेंरहकरपूर्णरूप सेविरोधकरना。 अंधविश्वासएवंधार्मिकआडम्बरोंकोदूरकरकेऐसेअपराधोंकोरोकनेकासततप्रयासकरनाएवंअधर्मियोंद्वारापहुँचायीजारहीधर्मकेक्षेत्रमेंक्षतिकेविषयमेंसमाजकोआगाहकरनावधार्मिकताकोसहीअर्थोंमेंब-सजय़ावादेना。
16.गौसंरक्षणएवंगौसंवर्धनहेतुकार्यकरनाएवंउचितआर्थिकसहयोगप्रदानकरना。